डिजिटल आई स्ट्रेन – बच्चों की आंखों पर स्क्रीन की मार:
- Sabir H. Ansari

- Jun 24
- 2 min read

आज के डिजिटल युग में मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप बच्चों की शिक्षा और मनोरंजन का अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा में भारी वृद्धि हुई है। जहां तकनीक ने शिक्षा को सुलभ और लचीला बनाया है, वहीं बच्चों की आंखों के लिए यह एक नई चुनौती बनकर उभरी है — डिजिटल आई स्ट्रेन या डिजिटल थकान।
क्या है डिजिटल आई स्ट्रेन?
डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) को Computer Vision Syndrome भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लगातार स्क्रीन देखने के कारण आंखों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह समस्या अब सिर्फ वयस्कों तक सीमित नहीं है — स्कूली बच्चे और किशोर भी इसके शिकार हो रहे हैं।
डिजिटल आई स्ट्रेन के लक्षण:
बच्चों में इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
आंखों में जलन या चुभन
आंखों का सूखापन
सिरदर्द और थकान
धुंधला या दोहरा दिखाई देना
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
गर्दन और पीठ में दर्द (गलत मुद्रा के कारण)
क्यों हो रहा है ये बच्चों में आम?
लंबे समय तक स्क्रीन पर देखना – बच्चे लगातार कई घंटे ऑनलाइन कक्षाएं, होमवर्क और गेमिंग में बिता रहे हैं।
पलकें झपकाना कम हो जाता है – स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने के दौरान पलकें कम झपकती हैं, जिससे आंखें सूखने लगती हैं।
गलत स्क्रीन दूरी और रोशनी – मोबाइल को बहुत पास से देखना या तेज/कम रोशनी में उपयोग करना आंखों पर दबाव बढ़ाता है।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी – बाहर खेलना या नेचर के संपर्क में रहना कम हो गया है, जिससे आंखों को राहत नहीं मिल पाती।
समाधान क्या हैं?
20-20-20 नियम अपनाएं: हर 20 मिनट बाद 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें। यह आंखों को विश्राम देता है।
ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें: मोबाइल या लैपटॉप में ब्लू लाइट कम करने वाले मोड (Night Mode) का उपयोग करें।
स्क्रीन टाइम सीमित करें: बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की स्पष्ट सीमा तय करें और बीच-बीच में ब्रेक दिलवाएं।
आंखों की नियमित जांच कराएं, खासकर यदि बच्चा सिरदर्द, धुंधली दृष्टि या आंखों में जलन की शिकायत करे।
सही मुद्रा और रोशनी का ध्यान रखें: मोबाइल या लैपटॉप आंखों के स्तर पर रखें और पर्याप्त रोशनी में उपयोग करें।
नेत्र योग और पलकों की एक्सरसाइज – बच्चों को आंखों के व्यायाम जैसे पलकों को बार-बार झपकाना, आंखें घुमाना आदि सिखाएं।
डिजिटल शिक्षा भविष्य की आवश्यकता है, लेकिन आंखों की कीमत पर नहीं। बच्चों के नेत्र स्वास्थ्य की अनदेखी दीर्घकालीन दुष्परिणाम दे सकती है। अभिभावकों, शिक्षकों और नीति निर्माताओं को मिलकर ऐसा संतुलन बनाना होगा, जिसमें तकनीक और स्वास्थ्य दोनों साथ चल सकें। आइए, हम सब मिलकर बच्चों को न केवल ज्ञान से बल्कि दृष्टि से भी समृद्ध करें।
क्योंकि स्वस्थ आंखें ही उज्ज्वल भविष्य की पहली सीढ़ी हैं।




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